अकेले तो थे पर जिंदगी इतनी तन्हा कभी न थी

अकेले तो थे पर जिंदगी इतनी तन्हा कभी न थी


मेरा बेटा बीते चार साल से कनाडा में है। मैं अकेला तो तभी से हूं लेकिन अब जब कोरोना कहर बरपा रहा है तो जिंदगी एकदम से तन्हा लग रही है। दिन भर में कई बार वीडियो कॉल करने के बाद भी दिल नहीं भर रहा है। मेरा तो समय कट गया लेकिन बेटे की चिंता खाए जा रही है। बस यही तमन्ना है कि बेटा जल्द से जल्द घर आ जाए। यह कहना है विन्ध्यवासिनी नगर के रहने वाले पीके वर्मा का।


पीके वर्मा का बेटा कनाडा की एक सॉफ्टवेयर कंपनी में इंजीनियर है। उनका कहना है कि कनाडा में बेटा, बहू और पोता भी है। मन बहुत घबरा रहा है। पहले तो सप्ताह में दो से तीन बार बात होती थी लेकिन अब रोजाना तीन से चार बार वीडियो कॉल करते हैं। इसके बाद भी मन को तसल्ली नहीं मिल रही है। वहीं कूड़ाघाट में रहने वाली सरोज तिवारी अपने बेटे को लेकर चिंतित है। उनका बेटा अमेरिका में रहकर एमबीबीएस की पढ़ाई कर रहा है। उनका कहना है कि अमेरिका में भी हालात ठीक नहीं है। बेटे की चिंता खाए जा रही है। किसी तरह बेटा मेरा पास आ जाए तब सुकून मिले।


वहीं देश के बाहर रहने वाले बच्चे भी अपने माता-पिता के लिए खासे चिंतित हो रहे हैं। बशारतपुर के रहने वाले अजय कुमार श्रीवास्तव बताते हैं उनकी बेटी अमेरिका में रहती है। पहले वह 10 से 15 दिन में एक बार कॉल करती थी लेकिन इधर 10 दिनों से बेटी रोजाना दो से तीन वीडियो कॉल कर रही है। धर्मशाला बाजा पर रहने वाले डॉ. अरुण बताते हैं उनका बेटा सिंगापुर में है। जब से उसने लॉकडाउन के बारे में सुना है तब से काफी परेशान है। रोज फोन कर कुशलता की जानकारी ले रहा है