लॉकडाउन का साइड इफेक्‍ट: बाजार से खत्म हो रहीं जीवनरक्षक दवाएं

लॉकडाउन का साइड इफेक्‍ट: बाजार से खत्म हो रहीं जीवनरक्षक दवाएं


महानगर में दवा का संकट गहराता जा रहा है। बनारस और लखनऊ से दवाओं की आपूर्ति ठप है। इसके कारण जीवनरक्षक दवाओं की किल्लत हो गई है। बीपी, शुगर, मानसिक रोग और रक्तस्राव रोकने वाली कई दवाएं बाजार से खत्म हो चुकी हैं। दर्द और बुखार की दवाएं भी बाजार में उपलब्ध नहीं हैं।


प्रसव के दौरान रक्तस्राव होने पर नियंत्रण के लिए दी जाने वाली इथमसाइलेंट दवा फुटकर दुकानों से गायब है। दर्द निवारक दवा डाइक्लोफेन खत्म है। प्रसव के फौरन बाद जच्चा को लगने वाला विटामिन ‘के' इंजेक्शन, मिजोप्रास्ट टैबलेट खत्म हो गया है। मानसिक रोगियों को दी जाने वाली एंटी डिप्रेशन की दवाएं बाजार से गायब हैं। यह दवाएं थोक व्यापारियों के पास भी नहीं हैं।


दर्द, बुखार और अपच की दवाएं हो रहीं खत्म : महानगर के दवा बाजार से सामान्य बीमारियों की दवाएं भी खत्म हो रही हैं। दर्द, बुखार और अपच में दी जाने वाली पेनटाप-40, पेनटाप डीएसआर खत्म हो गई है। मल्टी विटामिन व कैल्शियम टेबलेट नहीं मिल रही है। मेट्रोजिल टेबलेट, लैक्टोलूज सिरप भी खत्म है। नार्मल और सीजेरियन में लगने वाला ऑक्सीटोसीन इंजेक्शन खत्म है।


शासन द्वारा ट्रांसपोर्टरों को छूट देने का आदेश हुआ है। इसके बावजूद अब तक आपूर्ति शुरू नहीं हो सकी है। कुछ दवाएं तो बाजार से पूरी तरह से गायब हो गई हैं। फुटकर विक्रेताओं के पास अब दवाओं के स्टॉक खत्म हो रहे हैं। शहर से ज्यादा दिक्कत गांव में हो रही है।


आलोक चौरसिया, महामंत्री, दवा विक्रेता समिति


थोक दवा मंडी में दवाओं की आमद ठप है। दवा व्यापारियों के मुताबिक ज्यादातर दवा कंपनियों के बनारस और लखनऊ में डिपो हैं। वहां से आपूर्ति ठप है। ऐसे में दवाओं की किल्लत हो गई है। लोग डॉक्टरों के पर्चे लेकर एक दुकान से दूसरी दुकान पर भटक रहे हैं। दवाओं की कमी के कारण कुछ व्यापारी तो अब दुकानों के शटर गिराने लगे हैं। उनका कहना है कि जब दवाएं ही नहीं है तो दुकान खोले रखने का क्या फायदा।